Wednesday, June 12, 2019

अगर आप मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी के दर्द से हैं परेशान, तो जानें कैसे मिलेगा आराम

मौजूदा भागमभाग वाली जिंदगी में पता नहीं कब शरीर के किसी भाग का दर्द हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है, इसका हमें पता भी नहीं चलता। सुबह उठने के बाद अक्सर कंधे और शरीर में अकड़न और कमर के निचले हिस्से में तेज दर्द का अनुभव होता है। इस दर्द को हम लंबे समय तक नजरअंदाज करते रहते हैं और फिर अचानक यह हमें रोज परेशान करने लगता है। झुककर कोई चीज उठानी हो, लंबे समय तक बैठना या ड्राइव करना हो, हर छोटे बड़े काम में दर्द जी का जंजाल बन जाता है।
अगर आपने ध्यान दिया हो तो पिछले कुछ सालों में इसी दर्द के इर्दगिर्द घूमने वाली स्पाइनल कॉर्ड की वर्टिब्रा एल थ्री या एल फोर, सी फोर और सी फाइव में दर्द आदि की परेशानियां भी सामने आने लगी हैं। हर पांचवें व्यक्ति को कंधे, पीठ या कमर के निचले हिस्से में खिंचाव और दर्द रहता है। आखिर यह परेशानी है क्या? इसका समाधान फिजियोथेरेपी में है या फिर एलोपैथी में या फिर ऐसा तो नहीं कि कुछ आसान व्यायाम और उठने-बैठने का तरीका सही करके इस दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है।
दर्द के हैं कुछ खास कारण
मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी के दर्द के केवल दो से तीन प्रतिशत मामलों में सर्जरी की जरूरत होती है। लगभग 75 प्रतिशत दर्द को तीन से चार महीने में ठीक किया जा सकता है और 15 प्रतिशत मामलों में बिना दवा के केवल व्यायाम से पीड़ित व्यक्ति को राहत मिल सकती है, लेकिन इसके लिए सबसे अधिक जरूरी है कि दर्द पर ध्यान दिया जाए और उसके बढ़ने से पहले ही कारणों को दूर किया जाए, क्योंकि दर्द की वजह का एक कारण मांसपेशियों का कमजोर होना भी है। इसके अलावा एनकायलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के कारण भी यह समस्या संभव है। हालांकि सभी तरह के दर्द के लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं।
सियाटिका और स्पाइनल स्टेनोसिस में उम्र बढ़ने के साथ रीढ़ की हड्डी से होकर गुजरने वाली नसों पर दबाव बढ़ने लगता है, जिसका असर तुरंत दर्द के रूप में सामने आता है। रीढ़ की हड्डी की जिस प्रमुख स्थिति पर नसों का दबाव बढ़ता है, उसे चिकित्सकीय भाषा में एल फाइव या एल थ्री का नाम दिया जाता है। नसों पर दबाव बढ़ने पर रक्त का प्रवाह रुकता है और दर्द कमर से होते हुए पैरों तक पहुंच जाता है।
बैठने का गलत ढंग
गलत मुद्रा(रांग पोस्चर्स) में लंबे समय तक बैठने की वजह से टेल बोन पेन यानी रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में दर्द होने के मामले भी बढ़ रहे हैं। निचले हिस्से का यह दर्द कूल्हों के ठीक बीच में हमेशा बना रहता है, जिसे लोग नजरअंदाज करते हैं। बैठने का गलत तरीका एक समय में शरीर के कई अंगों की साधारण गतिविधि को प्रभावित करता है। अगर यही गलत तरीका आदत में शामिल हो जाए तो परेशानी होना स्वाभाविक है।
कुर्सियों की बनावट पर दें ध्यान
मल्टीनेशनल और कॉरपोरेट कंपनियों में इस संदर्भ में ‘एरगॉनामिक्स’ शब्द प्रचलित हो रहा है। इसका अर्थ ऐसी बॉयोटेक्नोलॉजी से है, जिसमें काम करने के वातावरण के अनुकूल बैठने की व्यवस्था व अनुकूल परिस्थिति में काम करते हुए उसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को देखा जाता है। अकेले दिल्ली-एनसीआर में तीन दर्जन बड़ी निजी कंपनियां कामकाजी युवाओं के स्वास्थ्य के अनुकूल कुर्सियां बना रही हैं, जिसमें उनके कद को ध्यान में रखा जाता है। इसका असर उनकी कार्यक्षमता पर भी सकारात्मक पड़ा है।
कैसे रखें गर्दन का ध्यान
  • कंप्यूटर पर काम करने का सीधा असर आंखों के बाद गर्दन पर पड़ता है। आंखों की सुरक्षा के लिए जिस तरह फोटोक्रॉमिक स्क्रीन को प्रमुखता दी जाती है, उसी तरह गर्दन को सुरक्षित रखने के लिए कंप्यूटर के की-बोर्ड का सही दिशा में होना जरूरी है।
  • तीन से चार घंटे तक यदि की-बोर्ड पर काम कर रहे हैं, तो कंप्यूटर से की-बोर्ड की दूरी एक फीट होनी चाहिए। दोनों हाथों की कोहनी लटकी हुई स्थिति में नहीं होनी चाहिए। इससे गर्दन की मांसपेशियों में तुरंत खिंचाव होता है।
  • कंप्यूटर के लिए बनाई गए स्पेशल मेज को यदि काम करने वाले व्यक्ति की लंबाई के अनुसार नहीं बनाया गया है तो यह भी गर्दन में दर्द का एक प्रमुख कारण हो सकता है। की-बोर्ड रखने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली स्लाइड मेज की जगह विशेषज्ञ मेज पर ही निश्चित दूरी पर की-बोर्ड को रखना अधिक बेहतर बताते हैं।
  • गर्दन के दर्द से बचने के लिए काम करते हुए टाई के इस्तेमाल को पूरी तरह गलत बताया गया है, जो सीधे रूप से स्पॉन्डिलाइटिस व गर्दन के दर्द का प्रमुख कारण मानी गई है। टाई की जगह लूज कॉलर के शर्ट अधिक आरामदेह माने गए हैं।
कंधों का दर्द और बचाव
गलत मुद्रा (पोस्चर्स) में काम करने का दूसरा सबसे अधिक असर कंधों पर पड़ता हैं। लैपटॉप का इस्तेमाल अधिक करने वाले युवाओं को अक्सर कंधे की मांसपेशियों में दर्द की शिकायत होती है। बिस्तर पर लेट कर या फिर गोद में रखकर लैपटॉप का प्रयोग किया जा रहा है तो यह एंगल सेहत के नजरिए से ठीक नहीं कहा जा सकता। सीधे लेटते हुए लैपटॉप व गर्दन के बीच कंधे पर सीधा दबाव पड़ता है। लगातार ऐसे काम करते रहने से खिंचाव पैदा होता है। लैपटॉप को यदि गोद में रखकर काम करना है तो तीन से चार इंच का मोटा तकिया नीचे रखें, संभव हो तो एक से दो घंटे के बाद इस दिशा को भी परिवर्तित करते रहें। फोन सुनते हुए कंधे को एक तरफ झुकाकर काम करना कंधे के दर्द को सीधे बुलावा देना है।
कमर व पैर का दर्द
आपके बैठने की कुर्सी यदि रीढ़ की हड्डी को सपोर्ट नहीं दे रही है, तो इसका मतलब आज नहीं तो कल आप कमर दर्द के शिकार हो सकते हैं। इसलिए कुर्सी में लंबर बैक सपोर्ट जरूर लगवा लें। कमर व पैर को सपोर्ट देने के लिए फुट रेस्ट जरूरी है। इसका मतलब है, पैरों के नीचे लंबाई के अनुसार 20 से 25 इंच का पायदान होना चाहिए। इससे शरीर के जरिए पैरों तक पहुंचने वाला खिंचाव फुट रेस्ट के जरिए रोका जा सके।
सोते हुए भी रखें ध्यान
  • कम से कम मोटे गद्दे का प्रयोग करें।
  • तकिया कंधे को सपोर्ट देते हुए नहीं, बल्कि गर्दन को सपोर्ट देते हुए लगाएं।
  • लेटते हुए कमर व घुटने के नीचे तकिया लगाकर मांसपेशियों के स्ट्रेस को कम किया जा सकता है।
  • सोने से पहले कम से कम पांच बार गहरी सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें। इससे जल्दी नींद आएगी।
बड़े काम के हैं ये सरल व्यायाम
मांसपेशियों के दर्द को छोटे और आसान व्यायाम से भी दूर कर सकते हैं। ऑफिस में चलते-फिरते कुछ देर पैरों की अंगुलियों यानी पंजों के बल खड़े हों। इस प्रक्रिया को दो से तीन सेकंड में दो से तीन बार दोहराएं। आंखों को बंद कर गहरी सांस लें। कंधे को स्ट्रेच करें,पैरों को सीधा रखें। घर पर हैं तो सीधे लेटकर दोनों हाथों को कूल्हे
के नीचे रखें। अब पैरों को जमीन पर बिना छुए ऊपर नीचे करें। इससे खून का संचार बेहतर होगा। दर्द बढ़ने पर ही फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह लें। खाने में हरी सब्जियां और फाइबर का प्रयोग बढ़ाएं।
saabhaar- jagran.com

Tuesday, April 23, 2019

आपकी याददाश्त और सीखने की क्षमता को प्रभावित करता है मोटापा, रहें सावधान; ये हैं उपाय


मोटापा शरीर के लिए ही नहीं, बल्कि दिमाग की सेहत के लिए भी घातक होता है। इससे सीखने की क्षमता और याददाश्त पर दुष्प्रभाव पड़ता है। अमेरिका की अगस्ता यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि हमारे दिमाग में एंडोथेलियल कोशिकाएं एक दीवार की तरह काम करती हैं। इन कोशिकाओं पर दो रिसेप्टर एडोरा-1ए और एडोरा-2ए होते हैं। इनके संतुलन से दिमाग में खून का बहाव और दिमाग की कार्यप्रणाली नियंत्रित होती है। मोटापे के कारण रिसेप्टर एडोरा-2ए अतिसक्रिय हो जाता है। ऐसा होने से दिमाग में खून का बहाव असंतुलित हो जाता है और दिमाग की क्षमता प्रभावित होती है।

वैज्ञानिकों ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ मोटापे और डायबिटीज की समस्या से जूझ रहे लोगों की समझ कमजोर होती जाती है। ऐसे लोगों में दिमाग का वह हिस्सा प्रभावित हो जाता है, जो कुछ सीखने और चीजों को याद रखने में मददगार होता है।



वजन बढ़ने के साथ ही कई प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍यायें शुरू हो जाती हैं। मोटापा कम करने के लिए सबसे ज्‍यादा जरूरी है अपनी जीवनशैली में खास बदलाव की। स्वस्थ खानपान और नियमित व्यायाम के जरिए आप बढ़ते वजन पर काबू पा सकते हैं। मोटापा बढने से डायबी‍टीज, ब्लडप्रेशर, हार्ट अटैक, ब्रेन स्टोन, कैंसर, अनिद्रा, जोडों और घुटनों की बीमारियां शुरू हो जाती हैं। मोटापा कम करने के लिए हमे अपने डाइट प्लान को ध्यान में रखना चाहिए। टाइम पर खाना चाहिए, डाइट संतुलित मात्रा में लेनी चाहिए। डाइट में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइडेट की प्रचुर मात्रा होनी चाहिए।



मोटापा कम करने के उपाय

  • कम उर्जा वाले वयंजनों का सेवन करें। जैसे भूने चने, मूंग दाल, दलिया आदि का सेवन करें। इनमें फैट कम होता है।
  • दो बडे चम्मच मूली के रस शहद में मिलाकर बराबर मात्रा में पानी के साथ पिएं, ऐसा करने से माह के बाद मोटापा कम होने लगेगा।
  • हर रोज सुबह-सुबह एक गिलास ठंडे पानी में दो चम्मच शहद घोलकर मिला लीजिए। इस घोल को पीने से शरीर से वसा की मात्रा कम होती है।
  • सुबह नाश्ते में अंकुरित अनाज लीजिए। मूंग, चना और सोयाबीन को अंकुरित करके खाने से से उनमें मौजूद पोषक तत्‍वों की मात्रा दोगुनी हो जाती है।
  • मौसमी हरी सब्जियों का प्रयोग ज्‍यादा मात्रा में करें। मौसमी सब्जियां जैसे - मेथी, पालक, बथुआ, चौलाईसाग हैं। इनमें कैल्शियम अधिक मात्रा में होता है।
  • सोयाबीन का सेवन कीजिए। इसमें ज्‍यादा मात्रा में प्रोटीन होता है और इसमें पाया जाने वाला आइसोफ्लेवंस नामक प्रोटीन शरीर से चर्बी को कम करता है।
  • खाने में गेहूं के आटे की चपाती बंद करके जौ और चने के आटे की चपाती लेना शुरू करें। जौ और चने में कार्बोहाइड्रेट पदार्थ होते हैं जो आसानी से पच जाते हैं।
  • अधिक चिकनाईयुक्त दूध, बटर तथा इससे बने पनीर का सेवन बंद कर दें। क्‍योंकि इनमें वसा ज्‍यादा मात्रा में होता है जो कि मोटापे का कारण बन सकता है।
  • फास्ट फूड, जंक फूड, कचौरी, समोसे, पिज्जा बर्गर न खाएं। कोल्ड ड्रिंक न पिएं, क्योंकि कोल्डा ड्रिंक की 500 मिलीलीटर मात्रा में 20 चम्मच शुगर होती है जिससे मोटापा बढ़ता है।
  • नीबूं का रस गुनगुने पानी में निचोड़कर पीयें, इससे भोजन अच्छे से पचता है और शरीर भी हल्का लगता है। शर्दियों में नींबू वाली चाय पिएं तो इससे पेट में गैस नहीं बनती।
  • व्‍यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल कीजिए। व्‍यायाम जैसे - साइकलिंग, जॉगिंग, सीढी़ चढ़ना-उतरना, रस्सी कूदना, टहलना, घूमना इस प्रकार के व्यायाम नियमित रूप से करने से वजन घटाया जा सकता है।
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Monday, March 26, 2018

पेट में कीड़े होने के हैं यह लक्षण, जान लीजिये

यह समस्या खासकर छोटे बच्चों में होती है। कई बार व्यस्कों को भी इसकी शिकायत रहती है। हम आज की इस पोस्ट में जानेंगे कि पेट में कीड़े होने के क्या क्या लक्षण है। तो आइए जानते हैं।

पेट में कीड़े होने के लक्षण-
यदि आपको पेट में बहुत तेज दर्द हो और बाद में दर्द ठीक हो जाए तो यह लक्षण भी पेट में कीड़े होने का है।
यदि आपका वजन बहुत ही कम हो और आप ज्यादा भोजन करके भी दुबले पतले हो। यह भी पेट में कीड़े होने का लक्षण है।
यदि आपकी आंखें लाल रहती हो। पानी डालकर भी आंख ठीक ना होती हो तो समझ जाइये की आपके पेट मे कीड़े हैं।
यदि आपकी जीभ के ऊपर सफेद परत जमी रहती हो तो यह भी पेट में कीड़े होने के लक्षण है।
यदि आपके मुंह से बुरी बदबू आती हो तो यह भी पेट में कीड़े होने का एक लक्षण है।
पेट में कीड़े होने का उपचार

अनार हर रोज खाएं इससे भी कीड़े साफ हो जाते हैं।
सुबह शाम दही में थोड़ा सा शहद मिलाकर पीने से भी इस दर्द से छुटकारा मिलता है।
लस्सी में काला नमक मिलाकर पीने से भी पेट में कीड़े साफ हो जाते हैं।

Thursday, March 22, 2018

आंखों को पुरी तरह बर्बाद कर देती हैं ये गलतियाँ

आंखों को पुरी तरह बर्बाद कर देती हैं ये गलतियाँ

जब आप रात में मोबाइल चलाते रहते हैं तो आपकी आंखे न चाहते हुए भी मोबाइल की स्क्रीन पर टिकी रहती है और अपने जरूरत के अनुसार बार-बार पलक भी नहीं चलाती। जिसके परिणामस्वरूप कभी-कभी तो आपकी आंखो में पानी आ जाता है। तब भी आप अपनी आंखो के साथ गलती कर रहे होते हैं। क्योंकि जब आंखो में पानी आ जाता है तो आप पानी को हांथो से या किसी मुलायम कपड़े से पोंछ कर फिर आप वहीं कार्य करने लगते हैं जो आप आंखो में पानी आने से पहले कर रहे थे। मोबाइल चलाते वक्त आपको समय का ध्यान नही रहता। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मोबाइल या टीवी किस प्रकार आपकी आंखो को नुकसान पहुंचाती है। यह कुछ इस प्रकार नुकसान पहुँचाती है।
जब आप रात में मोबाइल में देखते रहते हैं तो स्क्रीन से निकलने वाली लाईट आपकी आंखो के आयरिश (लेंस) पर डायरेक्ट पड़ती है जो आपकी आंखो में रोशनी पहुँचाने वाली धमनियों को नुकसान पहुँचाती रहती हैं। जिससे आपकी आंखो की देखने की क्षमता दिन ब दिन काफी कमजोर होती जाती है। जिसके परिणामस्वरूप आपके आंखो की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगती है और आपकी दृष्टि काफी पहले की अपेक्षा कमजोर हो जाती है। जिसकी वजह से आपको चारों तरफ हल्का धुआँ-धुआँ सा दिखता है।

आपकी आंखे अमूल्य है आपकी एक छोटी सी गलती से आपके जीवन में अंधेरा हो सकता है इसलिए सदैव अपनी कोमल आंखो का ख्याल रखें।

Sunday, February 28, 2016

क्यूँ बढ़ रही है गैस की समस्या

गैस
गैस प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में बनती है। यह शरीर से बाहर डकार द्वारा या गूदा मार्ग के द्वारा निकलती है। अधिकतर लोगों के शरीर में 1-4 पिंट्स गैस उत्पन्न होती है और एक दिन में कम से कम 14-23 बार गैस पास करते हैं। ऐसे लोग जिनकी पाचन शक्ति अक्सर खराब रहती है और जो प्रायः कब्ज के शिकार रहते हैं, उनमे गैस की समस्या अधिक होती है।
क्यूँ बढ़ रही है गैस की समस्या
अक्सर देखा जाता है कि चलते फिरते और हार्ड वर्क करने वालों के शरीर में गैस कम बनती है लेकिन ऐसे लोग जिनकी सक्रियता कम रहती है या जो अधिक समय तक बैठे रहते हैं उनके पेट में गैस अधिक मात्रा में बनती है। दूसरा कारण यह भी है कि आजकल लोगों की खान पान की आदतें बिगडती जा रही हैं। आजकल के लोगों में चबा चबा कर पोषक भोजन करने के बजाय जल्दी जल्दी से खाया जाने वाला जंक फूड या फ़ास्ट फूड अधिक पसंद है। यही वजह है कि आजकल बच्चे से लेकर बूढ़े, सभी लोग गैस की समस्या से अधिक परेशान रहते हैं। ज्यादा समय तक रहने वाली गैस की समस्या अल्सर में भी बदल सकती है।
क्यूँ बनती है गैस
हमारे शरीर के पाचनतंत्र में गैस दो तरीके से आती है।
1. निगली गयी हवा द्वारा
कभी कभी कुछ लोग अंजाने में हवा निगल लेते हैं जिसे चिकित्सा की भाषा में एरोफैगिया कहते हैं। यह भी पेट में गैस का प्रमुख कारण है। हर कोई थोड़ी मात्रा में कुछ खाते और कुछ पीते समय हवा निगल लेता है। हालाँकि जल्दी जल्दी खाने या पीने, च्युंगम चबाने, धूम्रपान करने से कुछ लोग ज्यादा हवा अन्दर ले लेते हैं, जिसमें नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्साइड होती है। कुछ हवा तो डकार के द्वारा बाहर निकल जाती है। बची हुई हवा आंत में चली जाती है जहाँ इसकी कुछ मात्रा अवशोषित हो जाती है। बची हुई थोड़ी सी गैस यहाँ से बड़ी आंत में चली जाती है जो गूदा मार्ग द्वारा बाहर निकलती है। पेट में थोड़ी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड भी बनती है, लेकिन यह अवशोषित हो जाती है और बड़ी आंत में प्रवेश नहीं करती है।
2. अनपचे भोजन का टूटना
हमारा शरीर कुछ कार्बोहाइड्रेट को ना तो पचा पाटा है और ना ही अवशोषित कर पाता है। छोटी आंत में कुछ निश्चित एंजाइमों की कमी या अनुपस्थिति से इनका पाचन नहीं हो पाता। यह अनपचा भोजन जब छोटी आंत से बड़ी आंत में आता है तो बैक्टीरिया के द्वारा किण्वन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है जिसमे गैस बनती है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर में एंजाइमों का स्तर कम हो जाता है इसलिए बढती उम्र के साथ साथ गैस की समस्या भी बढ़ती जाती है।
गैस के लक्षण और समस्याएँ
पेट में गैस बनने के सबसे आम लक्षण हैं:
  • पेट फूल जाना
  • पेट में दर्द होना
  • डकार आना और गैस पास करना
  • अत्यधिक गैस पास होना
  • गूदा मार्ग से बदबूदार गैस निकलना
  • जीभ पर सफ़ेद परत जमा हो जाना
  • सांस में बदबू आना
  • मल में बदबू आना
  • दस्त लगना
  • कब्ज होना
भोजन जिससे अधिक गैस बनती है
  • सब्जियां जैसे ब्रोकली, पत्तागोभी, फूलगोभी और प्याज
  • मैदे से बने खाद्य पदार्थ, दूध और दूध से बने उत्पाद
  • मीट और अंडा
  • डिब्बाबंद भोजन
  • फ़ास्ट फूड, सॉफ्ट ड्रिंक
  • बाजार की खुली चीजें
  • अधिक तली, भुनी चीजें
  • अधिक प्रोटीन और हार्ड कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थ
गैस से बचने के उपाय
  • कार्बोनेटेड ड्रिंक और वाइन ना पियें, क्यूंकि यह कार्बन डाई ऑक्साइड रिलीज करते हैं।
  • पाइप के द्वारा कोई चीज ना पियें, सीधे गिलास से पियें।
  • अधिक तले भुने और मसालेदार भोजन से बचें या कम खाएं।
  • तनाव भी गैस बनने का मुख्य कारण है इसलिए तनाव से बचें।
  • कब्ज भी गैस बनने का एक प्रमुख कारण है इसलिए जितने लम्बे समय तक भोजन बड़ी आंत में रहेगा, उतनी अधिक मात्रा में गैस बनेगी।
  • भोजन को धीरे धीरे चबाकर खाएं, दिन में तीन बार पूरा भोजन करने के बजाय, कुछ घंटों के अंतराल पर थोडा थोडा खाएं।
  • खाने के तुरंत बाद ना सोयें, थोड़ी देर टहलें। इससे पाचन भी सही रहेगा और पेट भी नहीं फूलेगा।
  • खाने पीने के समय को निर्धारित करें, एक निश्चित समय पर ही भोजन खाएं।
  • अगर मेहनत कम करते हों तो अधिक कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन कम खाएं और प्रोटीन वाले भोजन अधिक लें।
  • अपने शरीर को समझें, अगर दूध से एलर्जी होती हो तो दूध और दूध से बने पदार्थ ना लें।
  • मौसमी फल और सब्जियों का सेवन अधिक से अधिक मात्रा में करें।
  • खाना पकाते समय मसालों जैसे, सरसों, इलाइची, जीरा और हल्दी का उपयोग अधिक करें, इससे गैस कम मात्रा में बनती है।
  • संतुलित और घर का भोजन करें, जंक फूड, फ़ास्ट फूड और खुले में बने फूड से बचें।
  • शरीर को शक्रिय रखें, कसरत और योगा करें, पैदल चलने की आदत डालें।
  • धूम्रपान और शराब से दूर रहें।
  • अपने भोजन में अधिक से अधिक रेशेदार भोजन को शामिल करें।
  • सर्वांगसन, उत्तानपादासन, भुजंगासन, प्राणायाम आदि योगासन करने से गैस की समस्या ख़त्म हो जाती है।
सबसे काम की बात: अगर कर सकते हों तो सुबह उठने के बाद तीन चार गिलास पानी पियें और उसे उल्टी करके वापस निकाल दें। हो सकता है कुछ दिन परेशानी हो लेकिन एक बार आदत पड़ने के बाद रोज करने से ताउम्र गैस से छुटकारा पाया जा सकता है।
 जीवनशैली में लायें बदलाव
  • ज्यादा देर तक कुर्सी पर बैठकर काम करने वालों को गैस की समस्या अधिक होती है ऐसे लोगों को हर घंटे के बाद कुर्सी से उठकर थोडा टहलना चाहिए।
  • दोपहर का खाना खाने के बाद कुछ देर टहल लें।
  • लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का उपयोग करें।
  • खाने के बाद नींबू पानी या फल खासकर पपीता जरूर खाएं।
  • खाने के तुरंत बाद ज्यादा पानी ना पीयें, आधे या एक घंटे बाद ही पानी पीयें। भोजन के दौरान प्यास से बचने के लिए एक आधे घंटे बाद ही पानी पी लें।
  • ग्रीन टी का जरूर इस्तेमाल करें।
रोकथाम और घरेलु उपचार

  • लहसुन पाचन की प्रक्रिया को बढाता है और गैस की समस्या को कम करता है।
  • अपने भोजन में दही को शामिल करें।
  • नारियल पानी भी गैस की समस्या में काफी प्रभावशाली है।
  • अदरक में पाचक एंजाइम होते हैं। खाने के बाद अदरक के टुकड़ों को नीबू के रस में डुबोकर खाएं।
  • अगर आप लम्बे समस्य तक गैस की बीमारी से पीड़ित है तो लहसुन की तीन कलियाँ और अदरक के कुछ टुकडें सुबह खाली पेट खाएं।
  • प्रतिदिन खाने के समय टमाटर या सलाद खाएं, टमाटर में सेंधा नमक मिलाकर खाने से अधिक लाभ मिलता है।
  • पोदीना भी पाचन तंत्र में अधिक लाभकारी है।
  • इलाइची के पाउडर को एक गिलास पानी में उबाल लें। इसको खाना खाने के बाद गुनगुने रूप में पी लें, गैस से लाभ मिलेगा।

Monday, September 21, 2015

Dengue (डेंगू) – Safety & Treatment

Dengue एक ऐसा Fever है जो की बड़ा ही खतरनाक माना जाता है, अभी तक कोई भी (वैक्सीन) टिका नहीं बनाया  सका है डेंगू रोग के लिए.  यह जानलेवा साबित हो सकता है. Dengue fever एडिस एजेप्टी नामक मच्छर के काटने से फैलता है. अधिकतर डेंगू का मच्छर दिन के समय में ही काटता है. इस मच्छर द्वारा Virus को शरीर में Inject किया जाता है वह Blood को सीधे तौर पर प्रभावित करता है तथा खून का थक्का ज़माने वाली प्लेट रेट की क्षमता को क्षीण कर देता है. यह महामारी के रूप में अधिक गर्म स्थान वाले देशों में फैलता है .
क्या है लक्षण
आम तौर पर एडीज मच्छर के काटने के Dengue fever Virus के अंडा देने और अपनी Population बढ़ाने के अवधि 3-15 दिवस हो सकती है, इस दौरान निम्न लक्षण सामने आने लगते है :-
·                       ठण्ड लगना, अचानक तेज बुखार चढ़ने से Dengue की शरुआत होती है.
·                       शरीर में Joints Pain और मांसपेशियों में दर्द होने लगता है.
·                       तेज सिर दर्द
·                       आँखों के Movement करने पर दर्द होता है और आँख लाल हो जाती है.
·                       Blood Pressure Low  हो जाना हाइपरटेंशन के साथ में.
·                       उल्टियाँ होना
·                       ब्लड में प्लेट रेट जल्दी से डाउन होना
·                       त्वचा में बड़ी सरलता से निशान बन जाना, यदि एक हाथ से दुसरे हाथ को केवल पकड़ा भी हो
तो उसका निशान बन जाता है.
·                       शरीर पर Purple Color के धब्बे पड़ना
·                       कमर में दर्द होना
·                       Injection लगाने पर खून का रुकना.
·                       उपरोक्त Symptoms दिखने पर Identify किया जा सकता है Dengue को.

कैसे बचें डेंगू से ?
मच्छर चाहे कोई भी हो बिना पानी अपनी Population को अधिक नहीं बढ़ा सकता है, इसके लिए कुछ ऐसा इंतजाम होना चाहिए की खुले में पानी जमा होने पाएआपको ऐसे सभी उपाय करने चाहिए जिससे मच्छर के आपको काटने की सम्भावना नहीं के बराबर हो जाये. बचाव ही सर्वश्रेष्ट उपाय है.
·                       मच्छरों को पनपने, फैलने, घर में प्रवेश करने पर रोक लगाने हेतु रेपेल्लेंट्स आदि का प्रयोग करें.
·                       Mosquito Rackets, liquids, मच्छर भगाने वाले धुप इत्यादि का प्रयोग कर मच्छरों को घर में प्रवेश करने से रोकें.
·                       अपनी घर की पानी की टंकी (चाहे Overhead या underground) पर यह सुनिश्चित करें की ढक्कन भली भांति लगा है.
·                       सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग कर सकते है.
·                       संभव हो तो भीड़ भाड़ वाले क्षेत्र से दूर रहें, क्योकि किसी भी संक्रमित व्यक्ति से Dengue fever का Virus मच्छर द्वारा आपके शरीर में सकता है.
·                       पुरा शरीर ढक जाएँ ऐसे वस्त्र पहनें.
·                       घर की खिड़की दरवाजों में महीन जाली Net का use करें.
·                       घर में कहीं भी साफ़ पानी खुले में हो इस बात का विशेष ध्यान रखें.
·                       अगर किसी भी व्यक्ति को डेंगू हुआ हो तो उसे और कोई मच्छर काटें यह सुनिश्चित करें, क्योंकि अगर उसे dengue mosquito ने काटा तो इससे अन्य व्यक्ति भी संक्रमित हो सकते है.
·                       पक्षियों के जल पात्र के पानी को भी प्रत्येक दिन बदलें.
·                       यदि कहीं किसी स्थान पर पानी जमा हो और तो उस पर केरोसिन तेल केवल कुछ मात्रा में डाल देवें, इससे मच्छर के लार्वा पनप नहीं पाएंगे और मार जायेगें.
·                       मच्छरों को भगाने के लिए देशी तरीके भी इस्तेमाल कर सकते है जैसे की नीम की सुखी पत्ती, कपूर आदि को जलाना .
·                       बाजार में ऐसी क्रीम मौजूद है जिसको लगाने से मच्छर आपके पास नहीं आते, उनका भी इस्तेमाल करें.

 

डेंगू बुखार के लिए उपचार
1.            Dengue के Symptoms Identify होते ही तुरंत अस्पताल में जाकर जाँच और इलाज करवाएं.
तरल पेय पदार्थ लगातार पीते रहें, जिससे शरीर में तरल पर्याप्त मात्रा में बना रहे.


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