तुलसी
(Tulsi or Basil)
प्राचीन काल से भारतवर्ष में तुलसी को भगवान स्वरूप पूजा जाता रहा है. धरती पर एक वरदान स्वरूप है तुलसी. मंदिरों में आज भी तुलसी-चरणामृत प्रत्येक दर्शनार्थी को दिया जाता है और और मान्यताओं के अनुसार हर घर में तुलसी (Basil) का पौधा लगाना जरुरी बतलाया गया है, इसके पीछे धार्मिक मह्त्ता के साथ साथ वैज्ञानिक कारण भी है.
तुलसी को दवाई के रूप में भी बहुतायत से उपयोग किया जाता है. कुछ प्रयोग निम्नलिखित है :-
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तुलसी में Anti-Bacterial तत्व पाए जाते है. यदि सुबह, दोपहर और संध्या में तुलसी के एक पत्ता ही निगला जाये तो यह शरीर की शुद्धि कर रोगों से मुक्त कर देती है.
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नित्य तुलसी के 3-5 पत्ते खाने से Fever और सर्दी नहीं होती.
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Tulsi
से मुंह की दुर्गन्ध
pyorrhea दूर होती है.
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इससे
Cholesterol कंट्रोल रहता है.
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त्वचा संबधी रोग जैसे दाद, खुजली आदि पर इसका अर्क फायदा पहुचाता है.
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Tulsi
का सेवन Diabetes से बचाता है.
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तुलसी पेट के रोग जैसे अलसर को मिटाता है.
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वैज्ञानिक की शोध के अनुसार
Basil कीटाणुओं को नष्ट करती है
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सर्दी, खांसी और बुखार दवा रूप में लेने से लाभ मिलता है.
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वजन घटाने या मोटापे को रोकने में सहायक होती है.
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देशी इलाज मे Tulsi और गिलोय से Swine Flu का treatment किया जाता है.
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इससे शरीर की पथरी की दवा बनाई जाती है.
Note:
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तुलसी को चबाना वर्जित है, तुलसी चबाने से दांतों को हानि पहुंचती है.
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गर्भवती स्त्री को Tulsi का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए
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हमारे शास्त्रों में तुलसी तोड़ने निषेध समय बताएं गए है जो की इस प्रकार है :-
रविवार, मंगलवार और शुक्रवार
द्वादशी, अमावस्या एवम् पूर्णिमा
संध्या काल में और रात्री में
बिना नहाये और जूता-चप्पल पहनकर भी तुलसी को न छुएं
निषेध काल में भी तुसली पौधे से स्वतः टूटी हुई पत्तियों का प्रयोग किया ज सकता है.
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