Thursday, May 7, 2009

शराब न पियें तो ही अच्छा...अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रास दिवस (८ मई) के अवसर पर विशेष प्रस्तुति


हद से ज्यादा शराबखोरी कम उम्र में मौत की वजह मानी जाती रही है, पर रोजाना थोड़ी मात्रा में शराब पीने से उम्र में पांच वर्षों का इजाफा किया जा सकता है। नए शोध से इसकी पुष्टि हुई है। डच शोधकर्ताओं ने इस शोध के लिए ऐसे 1373 लोगों पर किए गए शोध निष्कर्षों को आधार बनाया है जिनके स्वास्थ्य पर वर्ष 1960 से वर्ष 2000 की अवधि के बीच गहन निगरानी रखकर एक शोध पूरा किया था।इस अवधि में औसतन 50 वर्ष उम्र वाले इन लोगों के हृदय संबंधी स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा का अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने यह जानने की कोशिश की कि ऐसे लोगों के स्वास्थ्य पर मद्यपान का कैसा असर पड़ता रहा है। 40 वर्षों की निगरानी अवधि में इन लोगों में 1,130 की मौत हो गई। आधे से अधिक लोगों की मौत दिल की बीमारी से हुई। शोध से पता चला कि जो लोग रोजाना 20 ग्राम शराब पीते रहे उनकी जीवन प्रत्याशा शराब नहीं पीने वालों की तुलना में 2 वर्ष बढ़ गई। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि नियमित रूप से रोजाना थोड़ी मात्रा में शराब पीने से उम्र में औसतन 5 वर्ष का इजाफा हो सकता है।

पुरुषों को आकर्षित करने के लिए कॉलेज जाने वाली महिलाएं शराब का अधिक सेवन करती हैं लेकिन इससे उन्हें कोई विशेष सफलता नहीं मिलती। एक नए अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है। ‘डेट’ पर ज्यादातर महिलाओं को लगता है कि उनका पुरुष साथी उनसे और अधिक शराब पीने की उम्मीद करता है। परिणामस्वरुप किसी भी समारोह के दौरान पुरुष जितनी शराब पीने को वरीयता देते हैं उसे 71 प्रतिशत महिलाएं लांघ जाती हैं।शोधकर्ताओं के अनुसार 26 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि पुरुष उन महिलाओं से मित्रता करना पसंद करते हैं जिन्होंने पांच पेग से अधिक शराब पी हो और 16 प्रतिशत ने कहा कि पुरुष महिलाओं की ओर से सबसे अधिक यौनाकर्षित तब होते हैं जब महिला ने काफी अधिक शराब पी रखी हो। यह अनुमान वास्तव में उसका दोगुना है जिसको कि वास्तव में पुरुष वरीयता देते हैं। लायोला मेरीमाउंट विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के सहायक प्रोफेसर जोसेफ लाब्री ने कहा कि सभी महिलाएं पुरुषों को आकर्षित करने के लिए अधिक शराब नहीं पीती हैं लेकिन अधिकतर महिलाओं के खतरनाक हद तक पीने का यह बहुत साधारण स्पष्टीकरण हो सकता है।शोध के नतीजे अमेरिकन साइकोलॉजी एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित साइकोलॉजी ऑफ एडिक्टिव बिहैवियर के मार्च अंक में दिए गए हैं।

लेकिन अगर आप सोचते हैं कि कम शराब पीने के कारण आप इसके दुष्प्रभावों से दूर हैं तो अपने मन से यह गलतफहमी निकाल दें। एक नए शोध के अनुशार थोड़ी मात्रा में ली गई शराब भी आपको हकीकत से दूर कर सकती है। कम मात्रा में ली गई शराब भी खतरनाक हो सकती है क्योंकि यह हमारे दिमागी संतुलन पर असर डालती है। उदाहरण के लिए वाहन चलाने वाले लोगों के लिए यह खतरनाक हो सकता है क्योंकि अक्सर वे नियंत्रण खो बैठते हैं और उन्हें यह ध्यान ही नहीं रहता कि वे क्या कर रहे हैं। पीने के बाद लोगों में अपनी मौजूदा स्थिति का आंकलन करने की क्षमता कम हो जाती है।

शराब का चयापचन यकृत (लीवर) में होता है। यही यकृत के क्षतिग्रस्त होने की मुख्य वजह भी है। यकृत में शराब खतरनाक रसायन एसिटेल्डिहाइड बनकर यकृत के ऊतकों को नुकसान पहुँचाती है। यकृत के सामान्य ऊतकों पर तंतुयुक्त ऊतक व कोशिकाओं के जमा हो जाने से यकृत की कार्य क्षमता कम हो जाती है। शराब के पहले हमले के नतीजे में मिलता है "फेटी लीवर"। यकृत वसा का चयापचय करता है। लेकिन तंतुयुक्त ऊतकों व कोशिकाओं के चढ़ जाने के बाद काम करना बंद कर देता है। यकृत जब वसा का चयापचय करना बंद कर देता हो वसा यकृत में जमा हो जाती है। जमा हो जाने के बाद वसा वहीं रह जाती है। इस स्थिति में यदि शराब छोड़ दी जाए तो न केवल आगे होने वाले स्थाई नुकसान को रोका जा सकता है अपितु लीवर के सामान्य स्थिति में लौट आने की संभावनाएँ भी बनी रहती हैं।

दूसरे हमले की देन है अल्कोहोलिक हेपेटाइटिस । यह अत्यधिक मात्रा में शराब पीने से यकृत पर सूजन आने से होती है। इसमें मरीज को भूख ना लगना , उल्टियाँ तथा पीलिया हो जाता है। तीसरे हमले में मिलता है सिरोसिस ऑफ लीवर। लंबे समय तक अत्यधिक मात्रा में शराब पीने से यकृत के 70-80 प्रतिशत भाग में फ्राईब्रोसिस हो जाता है। सिरोसिस के कारण पेट में पानी भर जाता है। शराब के कारण शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता काफी कम हो जाती है। शुरू में लोग शराब मजे के लिए पीते हैं पर बाद में शराब उन्हें पी जाती है।

इसलिए बेहतर यही है कि शराब थोडी या अधिक, किसी भी रूप में न पियें तो ही अच्छा।

अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रास दिवस (८ मई) के अवसर पर विशेष प्रस्तुति।

with thanks to josh18

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